"वो पथ क्या? पथिक कुशलता क्या, जिस पथ पर बिखरें शूल न हों

 नाविक की धैर्य कुशलता क्या,जब धाराएं प्रतिकूल न हों"
    विद्यार्थी स्कूलों में पढ़ रहा हो और उसे कोई निर्माण करते न आता हो तो ऐसी पढ़ाई का क्या करें? किसान फसल खूब उगाता हो और उसे बेचना न आता हो तो ऐसी किसानी का क्या मतलब?
    भारत में ऐसा ही हो रहा है। राजनीतिक निरंकुश  नेतृत्व कौशलता के चलते इस विषय पर कोई गौर नहीं कर रहा है। मौजूदा समय में देश  युवा शक्ति बन कर उभरा है ऐसा सरकारें कह रही है पर जमीन पर जा कर देखें तो स्थिति दूसरी ही तरह की हैं। सरकारें लोन बांट रहीं हैं पर युवा लेने को तैयार नहीं हैं, लेना भी चाहें तो बैंक देने को तैयार नहीं हैं क्योंकिशिक्षा ही अप्रयोगवादी मिली है। 
  इस बीच केन्द्र की तर्ज पर मप्र सरकार कुछ अलग करने का आयोजन हर दिन कर रहीं हैं,इसी क्रम में आज सरकार मप्र की युवा नीति लागू करने जा रही है।

मप्र की युवा नीति पर कौन क्या कह रहा है, और क्या किया जाना चाहिए पढ़िये युवाओं की जुबानी। 
किसानों को अपने उत्पाद बेचने की भी ट्रेनिग दी जाए, साथ ही समुदाय के माध्यम से ही हर जनपद में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगे। साथ ही एक ऐसा आॅनलान माध्यम बने जिससे छोटा किसान भी अपने उत्पाद बाजार की पहुंच तक ला सके। 
शिवनारायण गौर 
हर जनपद से किसान रथ चलना चाहिए। सरकार जिससे की कई लोकल उत्पाद की किसान,वनवासी सीधे बिक्री कर सकें। सरकार को चाहिए की इसे विदेष में निर्यात का भी पैनल बनाएं। साथ ही हर पंचायत में एक मार्ट का निर्मार्ण हो जिससे शहर का नागरिक भी वहां के उत्पाद आकर ले सके, इससे पर्यटन एवं रोजगार की संभावनाएं बढेगी। 
अलका राजपूत

  नगरों में बड़े उद्योग स्थापित होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से नगरों की ओर पलायन बढ़ रहा है जिस कारण नगरों में अनेक समस्या उत्पन्न हो रही है इन समस्याओं को रोकने हेतु और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे उद्योग या कारखाने स्थापित किए जाएं जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के अशिक्षित कम शिक्षित युवा महिलाओं को रोजगार मिले जिससे वे आत्मनिर्भर बन सके धन्यवाद
अभिषेक यादव 
  युवाओं को आय के स्रोत खोजने में सरकार मदद करें  
  युवाओं की रचनात्मकता को प्रोत्साहित हर हाल में किया जावे 
  मनोवैज्ञानिक कॉलेज में युवाओं की रुचिओं का परीक्षण करें 
  युवाओं में आध्यात्मिक शक्तियों को जागृत करना जरूरी है 
  युवाओं को विविध कार्यशालाओं के माध्यम से हर दृष्टि से जागरूक किया जावे  
प्रदीप गौतम सुमन
कक्षा 6 से 8 तक जिले की लोकल भाषा से समझानाएऔर उनको साइंस के प्रैक्टिकल को डेली लाइफ में जो चीज यूज होती हैएउस हेतु प्रेरित करना। पड़ने के बजाय प्रैक्टिकली बेस्ड पढ़ाना चाइए ताकि बच्चो में कोशलता का विकास बड़े और उनको स्वरोजगार प्राप्त करने में मदद करे।
शैलेष शर्मा
ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो बना दिए गए हैं लेकिन डॉक्टर उपलब्ध नहीं है वहाँ जल्द से जल्द चिन्हित कर स्टाफ की व्यवस्था की जाए
विनीत पंडित
हॉस्पिटल प्राइवेट हो या सरकारी उसका पूरा बिल माफ हो जाना चाहिए। इससे फायदा ये होगा कि डॉक्टर मरीज को बचाने की पूरी कोशिश करेगाए यदि फिर भी मरीज मर जाता है तो उससे वेंटीलेटर या अन्य तरीके सेए लूटपाटए नहींए की जायेगी।
जाहीर खान
जो योजनाएं जन हितेषी योजनाएं हैं, गरीबों के कल्याण के लिए हैं वह योजनाएं पात्र हितग्राहियों तक पहुंच पा रही है कि नहीं। सर्वे का कार्य किया जाना चाहिए प्रत्येक योजनाओं के सही आंकड़े प्रस्तुत हो शासन के पास एसरकार के पास तभी विकास के पथ आगे बढ़ा जा सकता है ।

मंगलेश शर्मा

    क्या मप्र की नई युवा नीति

इस योजना का शुभारंभ युवा विभाग, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा किया गया है। युवा नीति का उद्देश्य प्रदेश के वातावरण (माहौल) में एक ऐसी ऊर्जा का संचार करना है, जिससे प्रदेश के युवाओं की सोच में सकारात्मकता आए, उनकी ऊर्जा का राज्य के विकास में उपयोग हो, उन्हें अपने समग्र विकास (व्यक्तित्व, शैक्षणिक एवं आर्थिक) का अवसर मिले एवं वह देश का एक आदर्श नागरिक बन सके।

उद्देश्य:

  • प्रदेश में ऐसे वातावरण का निर्माण करना, जिसमें प्रत्येक युवा अपनी योग्यता को निखारते हुए आवश्यक कौशल अर्जित कर सके तथा आर्थिक रूप से सशक्त हो सके।
  • युवाओं की सृजनात्मक ऊर्जा को अभिप्रेरित करना तथा उनमें साहसिक निर्णय लेने, खेलकूद एवं अन्य गतिविधियों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मकता की क्षमता का विकास।
  • युवतियों को उनकी क्षमता का विकास करने एवं उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार बेहतर अवसर उपलब्ध कराना।
  • अन्य पिछड़ा वर्ग, नि:शक्तजन एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के युवाओं के आर्थिक, सामाजिक सशक्तीकरण के लिये विशेष प्रयास।

लाभ:

  • प्रतिभावान विद्यार्थी धन के अभाव में शिक्षा से वंचित न रहे, इसके लिये शैक्षणिक ऋण की सहायता देना।
  • पाठ्यक्रमों का निर्माण इस प्रकार से किया जाएगा कि उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के पश्चात विद्यार्थी की रोजगार एवं स्व-रोजगार हेतु क्षमता में वृद्धि हो सके।
  • 10-12 के अकादमिक प्रमाण-पत्र के साथ आवश्यकतानुसार कौशल निपूर्णता के प्रमाणीकरण की व्यवस्था की जाएगी।
  • उच्च गुणवत्ता वाले राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्कूल समूहों को प्रदेश में स्कूल खोलने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।

 

न्यूज़ सोर्स : ipm