यहां रावण के पुतलों का दहन नहीं किया जाता

मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में है रावणग्राम। इस गांव में कान्यकुब्ज ब्राह्मणों का बाहुल्य है। यह ब्राह्मण कुल रावण को अपना पूर्वज मानता है। इस गांव में रावण का मंदिर भी है।
इस मंदिर में दशहरे के मौके पर विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया है, और रावण बाबा नम: के मंत्र से पूजा भी करते हैं।रावण ग्राम में 9वीं से 14वीं सदी के मध्य का एक प्राचीन मंदिर भी है। इस मंदिर में रावण की एक प्रतिमा है, जो लेटी हुई है। कहते हैं जब इस प्रतिमा को खड़ा करने की कोशिश की गई तो अपशगुन होने लगा। इसलिए रावण की प्रतिमा यहां लेटी हुई है।
लिहाजा यहां रावण के पुतलों का दहन नहीं किया जाता। इस गांव के लोग रावण की पूजा-अर्चना कर मंगल कामना कर रहे हैं।
रावण को दामाद का दर्जा
मप्र के मंदसौर जिले में नामदेव सम्प्रदाय के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं। मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी का मंदसौर में मायका था।
खानपुर गांव में रावण की प्रतिमा है। यहां की महिलाएं विशेष रुप से अपने दामाद की पूजा करती हैं। इस गांव में रावण का वध तो होता है, मगर यहां के निवासी इससे पहले रावण से क्षमा मांगते हैं।