एफपीओ को ई-ट्रेंडिंग से जोड़ने की हो कवायद

भारत सरकार किसानों की उपज को बिचैलियों से मुक्ति के लिए बेसक अच्छे प्रयास कर रही है, लेकिन कई ऐसी योजनाएं हैं जिन्हे जमीनी स्तर पर पहुंचाना अभी भी दूर की बात लग रही है। भारत सरकार की एक ऐसी ही योजना एफपीओ यानि किसान निर्माता संगठन {Farmer Producer Organisation) की आज हम बात करते हैं। सरकार की मानें तो हजारों एफपीओ देश में निर्मित हो चुकें हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर देखें तो अभी भी 32 प्रतिशत के आसपास ही किसान इस योजना के बारे में जानते हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए की जमीनी स्तर पर प्रचार-प्रसार की व्यवस्था करें।
ई-ट्रेंडिंग से भी जोड़ना होगा
एफपीओ में जागरूकता के अभाव के चलते परंपरागत व्यापारी ही अपना कब्जा जमाते दिख रहे हैं, ऐसे में तकनीकी माध्यमों से किसान समूहों को संगठित कर एवं सामुदायिक संगठनों से किसान समूहों का निर्माण कर जमीनी स्तर पर तकनीकी माध्यमों को तैयार किया जाना चाहिए।
जैसा सब जानते हैं ग्रामीण युवा भी अब तकनीकी ज्ञान में दक्ष होता जा रहा है, लेकिन सही मार्गदर्शन न मिलने के चलते तकनीक का वह गत उपयोग करते भी दिखते हैं। इन युवाओं को टेक्नालाॅजी से जोड़कर कृषि व्यापार को भी ग्रामीण अंचल में भी डिजिटल व्यापार की तरफ मोड़ना चाहिए।
वैसे कम पढ़ा-लिखा किसान वर्ग ई-ट्रेडिंग को लेकर अधिक जिज्ञासु है लेकिन व्यापारी वर्ग नहीं। किसानों का कहना है कि यह सेवा न केवल उनके लिए सुविधाजनक है, बल्कि ट्रेडिंग में पारदर्शिता लाने और देश के विकास में सहायक सिद्ध होगी।
क्या है एफपीओ योजना
एफपीओ यानी किसान निर्माता संगठन किसानों का एक ऐसा समूह जो अपने-अपने क्षेत्र में फसल उत्पादन के साथ कृषि से जुड़ी तमाम व्यावसायिक गतिविधियां चलाता है। एफपीओ से किसानों को न सिर्फ अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलती हैए बल्कि कृषि उपकरण के साथ.साथ खादए बीज, उर्वरक जैसे तमाम उत्पाद भी अच्छी गुणवत्ता और उचित मूल्य में मिल जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के किसानों के लिए एक लाख करोड़ रुपये की वित्तीय सुविधाओं का बड़ा ऐलान किया। एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर नाम से बनाए गए इस फंड के जरिये कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कदम उठाए जायेंगे। इस फंड की अवधि 10 साल के लिए तय की गयी है जिसमें पहले साल 10 हजार करोड़ रुपये, और अगले हर एक तीन वित्त वर्षों में 30.30 हजार करोड़ रुपये के ऋण वितरित किये जायेंगे। सरकार का तर्क है कि एग्री इंफ़्रा फंड के जरिये एक लाख करोड़ रुपये बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा देश के प्राइमरी एग्री क्रेडिट सोसाइटीजए कृषि उद्यमियों, एग्री-टेक समेत किसान निर्माता संगठनों यानी एफपीओ को भी ऋण के रूप में उपलब्ध कराए जाएंगे, इससे ग्रामीण भारत के कृषि क्षेत्रों में निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि मोदी सरकार 10,000 नए किसान उत्पादक संगठन बनाएगी। साल 2024 तक इस पर 6865 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सरकार हर FPO किसानो को 5 साल के लिए सरकारी समर्थन दिया जायेगा। केंद्र सरकार संगठन के काम को देखने के बाद 15 लाख रुपए की सहायता देगी।