खेलन बाई ने नर्सरी को आजीविका का आधार,बेचे 12 लाख रुपये के पौधे

तेंदूपत्ता तुड़ाई का कार्य करने वाली एवं मेहनत मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करने वाली खेलन बाई संघर्ष की एक मिसाल बन गई है। गरीबी के कठिन संघर्षों के बाद खेलन बाई अब आत्म निर्भर बन गई है। खेलन बाई के समूह ने बंजर पड़ी शासकीय भूमि को अपनी मेहनत से हरा-भरा बना दिया है और उस पर नर्सरी का संचालन कर 12 लाख रुपये के पौधे बेच दिये हैं। खेलन के नेतृत्व ने समूह की सदस्य महिलाओं को भी आय का जरिया उपलब्ध करा दिया है।
बालाघाट जिले के वारासिवनी विकासखंड के सांवगी गांव की खेलन मर्सकोले ने बचपन से ही गरीबी को बहुत करीब से देखा है और गरीबी का दर्द महसूस किया है। 10 वीं तक पढ़ाई करने के बाद उसका विवाह धनेन्द्र मर्सकोले के साथ हो गया। लेकिन गरीबी ने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा। गांव की बस्ती में यह परिवार झोपड़ियों में रहकर दिन व्यतीत कर रहा था। एक समय ऐसा भी था कि पक्का घर और अन्य सुविधाये तो बहुत दूर की बात थी, आय का कोई साधन न होने के कारण परिवार के सभी लोग मजदूरी करके गुजारा करते थे। गांव में प्रतिदिन मजदूरी का काम भी नहीं मिलता था, और मिल भी जाता था तो गांव में मजदूरी की दर कम होने के कारण मेहनत की राशि भी काफी कम मिलती थी। हालात ऐसे थे कि घर की गुजर-बसर करने लायक आय जुटाना भी कठिन हो जाता था l खेलन भी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ तेंदूपत्ता तोड़ने का कार्य करती थी।
वर्ष 2019 में आजीविका मिशन का स्टाफ गांव में महिलाओं का समूह गठित करने पहुंचा था। खेलन बाई मर्सकोले मिशन स्टाफ द्वारा दी गई जानकारी से बहुत प्रभावित हुई और उसने गांव की अन्य महिलाओं को जोड़कर राशि तेजस्वीनी स्व सहायता समूह का गठन किया l समूह से जुड़ने के बाद खेलन मर्सकोले ने शासकीय योजना के तहत सावंगी गांव की शासकीय भूमि पर नर्सरी स्थापना एवं नर्सरी संचालन के लिए अपने समूह की सदस्यों को प्रेरित किया l खेलन बाई के नेतृत्व में महिलाओं के इस समूह ने कड़ी मेहनत कर बंजर पड़ी शासकीय भूमि को उपजाऊ बना दिया है।
खेलन बाई ने समूह से व्यक्तिगत ऋण लेकर एवं बैंक लिंकेज के माध्यम से बैंक से ऋण लेकर बीज, खाद, यान्त्रिकी उपकरण खरीदकर नर्सरी का कार्य प्रारंभ किया था। खेलन की कड़ी मेहनत देख समूह सदस्य भी उसके साथ नर्सरी मे सहयोग करने लगे l खेलन मर्सकोले के समूह की मेहनत एवं परिश्रम से सावंगी की नर्सरी बालाघाट जिले की सबसे अच्छी और बेहतर संचालन वाली नर्सरी बन गई है। जिसमे सबसे बड़ा योगदान खेलन मर्सकोले का है l