क कहावत है “चूल्हा मिट्टी का मिट्टी तालाब की तालाब ठाकुर का “ लेकिन अब यह कहावत बदलती नजर आ रही है। मप्र सरकार के मुखिया डाॅ मोहन यादव ने शून्यवाद की स्थिति में निरंतर नजर आ रहे  तालाबों को जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत निखारकर उन्हे विलुप्त होने से रोकने का प्रयास किया है, मोहन के इस अभियान से उम्मीद की जा रही है कि 65 लाख हेक्टेयर के खेत खलियान इन तालाबों के पुर्नजीवन से खिलखिला उठेंगे। 

 नदियों की तरह तालाब भी हमारी जीवन रेखा हैं, किंतु कुछ कालखण्ड में तालाबों के शांत स्वरूप को ध्वस्त किया गया यह जग जाहीर है। तालाबों की सीमा को निजी स्वार्थ के लिए जिस तरह से नेस्तनाबूत किया गया उसके परिणाम भी जनता झेल रही है।

खुशी इस बात की है कि तालाबों के दर्द को सामुदायिक रूप से एवं सरकारी रूप से भी महसूस किया जा रहा है। जल गंगा संवर्धन अभियान मप्र में एक जन आंदोलन का रूप ले चुका है। इधर बारिश की बूंदों के बीच आकाशीय बादल भी तालाब रूपी दर्पण में अपना चलित सौंदर्य निहारकर आत्ममुग्ध हो रहे हैं।

मेघ के आते ही सरकार द्वारा खुदे तालाबों में हलचल दिखने लगी है,भरे तालाबों में उठ रहीं लहरे ऐसे प्रतीत हो रहीं हैं जैसे मेघ देवता का तालाब आओभगत कर रहे हैं।  मप्र में वर्षा जल के संचयन के लिए तीन माह में बनाएं गए है  84 हजार 930 खेत.तालाब उम्मीद है ऐसे ही शाश्वत रहेंगे।

प्रदेश में तालाबों की स्थिति

मनरेगा योजना से बनाए जा रहे 84 हजार 930 खेत तालाब और 1 हजार 283 अमृत सरोवर से प्रदेश में 1 लाख 67 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में सिंचाई होगी। इससे प्रदेश में सिंचाई के रकबे में बढ़ोत्तरी होगी और किसानों के चेहरे खिल उठेंगे। यह अभियान मुख्यमंत्री डॉ. यादव के 65 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचाई के रकबे को बढ़ाने के लक्ष्य में मददगार होगा।

सीएम डॉ. यादव ने बारिश की हर बूंद सहेजने, पुराने जल स्त्रोतों का पुनरुद्धार करने और जल संरक्षण के लिए नई संरचनाओं का निर्माण करने के लिए तीन माह तक निरंतर चले जल गंगा संवर्धन अभियान का प्रदेश में असर भी दिखाई देने लगा है। स्थिति यह है कि प्रदेश में वर्षा जल के संचयन के लिए तीन माह में 84 हजार 930 खेत-तालाब बनाए जा रहे हैं। इसमें से कई खेत-तालाबों का निर्माण कार्य पूरा भी हो गया है। इसी तरह से प्रदेश के सभी जिलों में 1 हजार 283 अमृत सरोवर भी बनाए जा रहे हैं, जिनका निर्माण कार्य भी जारी है।

 सिंचाई व पीने के पानी के लिए बनाए गए अधिकांश कुओं का जलस्तर भी घट गया है। कुछ कुएं तो सूख भी गए हैं। ऐसे में कुओं को दोबारा नया जीवन दिया जा सके, इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा 1 लाख 3 हजार से अधिक रिचार्ज पिट बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान स्थिति में निर्धारित लक्ष्य से अधिक एक लाख 4 हजार 294 कुओं में रिचार्ज पिट बनाए जा रहे हैं।

 प्रदेश में पहली बार जल गंगा संवर्धन अभियान में तकनीक के साथ बनाए गए खेत तालाब, कूप रिचार्ज पिट और अमृत सरोवर का सुखद परिणाम भी दिखाई देने लगा है। मानसून की पहली ही बारिश में खेत तालाबों में पानी भर गया है। साथ ही कुएं भी रिचार्ज होने लगे हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में खेत तालाब, अमृत सरोवर और रिचार्ज पिट बनाने में मनरेगा परिषद द्वारा सिपरी और प्लानर सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है। प्लानर सॉफ्टवेयर के माध्यम से कार्ययोजना तैयार की गई। इसके बाद सिपरी सॉफ्टवेयर की मदद से जगह का चिन्हांकन गया। पानी का बहाव किस तरफ है, इसका वैज्ञानिक पद्धति से पता लगाया गया। इसके बाद निर्माण कार्य शुरू किया गया। प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है कि तीन माह में इतनी बड़ी संख्या में खेत तालाब, अमृत और कूप रिचार्ज पिट का निर्माण कराया गया है।

जल गंगा संवर्धन अभियान में प्रदेश के टॉप 10 जिले

जल गंगा संवर्धन अभियान के दौरान मनरेगा योजना के अंतर्गत खेत तालाब, अमृत सरोवर और कूप रिचार्ज पिट बनाने वाले प्रदेश के टॉप 10 जिलों में खंडवा, बालाघाट, रायसेन, उज्जैन, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, राजगढ़, अशोकनगर, बैतूल और मंडला जिला शामिल हैं।

 

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